एचआर 5183बी बृहस्पति की तुलना में तीन गुना अधिक विशालकाय एक्सोप्लेनेट है
RekhaSingh - अक्टूबर 10, 2019
खगोलविदों ने बृहस्पति की तुलना में तीन गुना अधिक विशालकाय एक्सोप्लेनेट पाया जो एक अत्यधिक अण्डाकार पथ पर अपने मेजबान तारे के चारों ओर घूमता है।
खगोलविदों ने बृहस्पति की तुलना में तीन गुना अधिक विशालकाय एक्सोप्लेनेट पाया। जिसका नाम एचआर 5183बी है, जो एक अत्यधिक अण्डाकार पथ पर अपने मेजबान तारे के चारों ओर घूमता है।
ब्रह्मांड रहस्यों से भरा हुआ है। इसमें हर समय कुछ न कुछ निकल कर सामने आता है। अभी हाल ही में हमारे खगोलविदों द्वारा अद्वितीय विशेषताओं और विचित्र व्यवहारों वाला एक नया ग्रह खोजा गया है। जिसको नाम दिया है एचआर 5183 बी। यह एक्सोप्लैनेट बृहस्पति की तुलना में तीन गुना अधिक बड़ा है और इसके चारो तरफ जो कक्षा है वो एक अंडे के आकर की है। हालांकि कई और विशाल अण्डाकार ग्रह पाए गए हैं, लेकिन वे सभी अपने तारो के करीब है। वैज्ञानिकों द्वारा की गई इस खोज को आने वाले समय में द एस्ट्रोनॉमिकल जर्नल में प्रकाशित किया जाएगा।
एचआर 5183 बी का पता रेडियल वेग विधि से लगाते है वैज्ञानिक
वैज्ञानिक ग्रहों के बारे में पता करने के लिए लिए जिस विधि का उपयोग करते हैं उसका नाम रेडियल वेग है। इस विधि द्वारा यह ज्ञात किया जाता है की जो तारे ग्रहों की परिक्रमा करने के लिए जो गुरुत्वाकर्षण बल का प्रयोग करते है उसकी गति क्या है।
आसान नहीं था समय ज्ञात करना
वैज्ञानिकों ने कहा की किसी भी ग्रह के समय को लेकर डाटा तैयार करना आसान नहीं है क्योकिं कुछ ग्रह ऐसे भी है जिसमें 100 वर्षो से ज्यादा का भी समय लगता है। क्योकिं हमारे सौरमंडल में नेपच्यून जैसे ग्रह भी है जो परिक्रमा करने में 165 साल लगा देते हैं। लेकिन एचआर 5183 बी के लिए शोधकर्ताओं ने इसकी कक्षीय अवधि के बारे में पर्याप्त डेटा हासिल कर लिया है, क्योकिं वे 20 सालों से लगातार इसका निरीक्षण कर रहे हैं। अभी तक जो डाटा एकत्रित हुआ है उसके अनुसार यह कहा जा सकता है कि ग्रह की अपनी कक्षा को पूरा करने में 45 से 100 साल लग सकते हैं। इसके बारे में दिलचस्प बात यह है कि इस ग्रह की खोज उसके कक्षीय अवधि के कारण नहीं बल्कि उसके अजीबोगरीब घुमने की गति वजह से हुई।
कैलिफ़ोर्निया प्लैनेट सर्च की रिपोर्ट
कैलिफ़ोर्निया प्लैनेट सर्च नामक सगठन लम्बे समय से ग्रहों के बारे में अध्यन कर रहा है। इस रहस्यमयी ग्रह के बारे में पता लगाने के वैज्ञानिकों को तीन अलग-अलग वेधशालाओं के डेटा पर शोध करना पड़ा। कैलिफ़ोर्निया प्लैनेट सर्च सगठन के प्रमुख एंड्रयू डब्ल्यू हावर्ड द्वारा स्पष्ट किया गया है, स्टार एचआर 5183 ' यह ग्रह अपने तारे के ग्रहीय तंत्र के बाहरी हिस्से में की कक्षा में घूमने में अपना अधिकांश समय व्यतीत करता है। फिर, यह अपने तारे के चारों ओर तेजी से बढ़ना शुरू कर देता है। हॉवर्ड ने कहा की यह इसके घुमने की प्रक्रिया से ऐसा प्रतीत होता है जैसे की यह किसी खास पैटर्न को बना रहा है। जिससे हम यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि यह एक वास्तविक ग्रह है।
कैसे बना होगा एचआर 5183बी
कॉस्मो सिद्धांतों के अनुसार ऐसा माना जाता है की नए ग्रहों में अक्सर स्टार के गठन होने के बाद उनकी कक्षाएं भौतिक डिस्क की वजह से सपाट और गोलाकार होती हैं। लेकिन 5183 के मामले में ऐसा नहीं है यह अलग है। इसके पीछे का कारण हो सकता है इसकी विलक्षण बनावट, बड़े पैमाने पर आकाशीय पिंडों और गुरुत्वाकर्षण में बाह्य बल की संभावना। वैज्ञानिकों ने अनुमान लगाया है कि एक समय में एचआर 5183 के पास समान आकार वाला एक और ग्रह था। जब दोनों ग्रहों के पास पर्याप्त दूरी होती है, तो वे एक-दूसरे को मजबूर कर देते हैं पास आने के लिए उसी का परिणाम है एचआर 5183 बी। जिसकी वजह से यह इतना अलग और ख़ास हो जाता है।
वाकई में यह हमारे ब्रह्माण्ड की अबूझ पहेलिय है जो जिसके बारे में जितना सोचा जाए उतना कम है. हर बार कुछ अलग सा निकलकर आता है और सबको चौका देता है|