एआई डॉक्टरों को कार्डिएक एमआरआई स्कैन 186 टाइम फास्टर पढ़ने में करता है मदद
RekhaSingh - अक्टूबर 16, 2019
समय की बचत करने और सटीक होने के कारण यूके में सभी स्वास्थ्य केंद्रों के डॉक्टरों को एमआरआई स्कैन पढ़ने मे एआई की मदद लेते है। एआई के उपयोग से प्रति वर्ष डॉक्टर अपने 54 दिन बचा लेते है।
- ये नई एआई बॉट उपकरण का उपयोग करना सीखते हैं और गेम जीतने के लिए एक साथ काम करते हैं
- 100,000 एआई द्वारा किए गए फ़ेस डेटाबेस हमारे फोटो को स्टॉक करने की सोच को बदल सकता है
समय की बचत करने और सटीक होने के कारण यूके में सभी स्वास्थ्य केंद्रों के डॉक्टरों को एमआरआई स्कैन पढ़ने मे एआई की मदद लेते है। एआई के उपयोग से प्रति वर्ष डॉक्टर अपने 54 दिन बचा लेते है। हाल ही में किए गए एक अध्ययन से पता चलता है एमआरआई स्कैन पढ़ते समय इंसान से गलती हो सकती है, जब कि आर्टिफिशल इंटेलिजंस (एआई) मानवीय त्रुटियों को दूर करने में मदद कर सकती है। जिससे रिपोर्ट जल्दी पढ़ने मे मदद मिलती है।
कार्डियोवस्कुलर इमेजिंग और एक शोध के अनुसार एक मानव चिकित्सक कार्डियक एमआरआई स्कैन पढ़ने और मरीजों के हृदय का विश्लेषण करने में तेरह मिनट लगते हैं। हालांकि, इस नए एआई से सिर्फ 4 सेकंड का समय लेता है।
इस पर चार्लोट मनिस्टी कहती हैं "हृदय संरचना और कार्य का आकलन करने के लिए कार्डियोवास्कुलर एमआरआई एक पैरेलल इमेज प्रदान करता है, जब कि उस वर्तमान के मैनुअल और बेसिक विश्लेषण आउट डेटट हो चुके होते हैं।" वे आगे कहती हैं "मौलिक रूप से सीखने की तकनीक मे दक्षता और सुधार करने की क्षमता प्रदान करती है स्वचालित मशीन, और मानव विश्लेषण के लिए जो ज्यादा अच्छा है हम उस पर हमेशा शोध करेगे।
नए एआई कार्डिक एमआरआई स्कैन पड़ने में सिर्फ 4 सेकंड का समय लेता है
शोध में उन्होंने पाया की यूके में कार्डिक एमआरआई स्कैन के सालाना आकड़े तकरीबन 150,000 के आसपास होते हैं। समय की बचत करने और सटीक होने के कारण यूके में सभी स्वास्थ्य केंद्रों के डॉक्टरों को एमआरआई स्कैन पढ़ने मे सहूलियत देता है। इसके साथ ही एआई प्रति वर्ष डॉक्टरों के 54 दिन बचा लेता है। इसी के साथ इसका एक और लाभ है कि इसमें गलती होने की भावना कम है क्योकिं ये खुद पूरा स्कैन पढ़ता है।
मैनिस्टी कहती हैं "हमारे डाटासेट मे मौजूद हृदय रोगियों की रिपोर्टस जो हमने स्कैन की थी उनकी मदद से, हम स्पष्ट कर सकते हैं कि इंसानों से रिपोर्ट पढने में गलती की गुंजाईश ज्यादा होती है। वो कहती हैं यह शोध यह दर्शाता है स्वचालित तकनीकें इस मामले में इंसानों से बेहतर है। इसलिए हम कह सकते हैं की जल्द ही हमारे सुपर ह्यूमन होने की संभावना है क्योकिं ऐसी चीजे रिसर्च के मापदंड के लिए बारीकी प्रदान करेगी।
इंसानों से रिपोर्ट पढने में गलती की गुंजाईश ज्यादा होती है
तकरीबन 600 रोगियों के कार्डिएक एमआरआई स्कैन के परिणामों को मैनिस्टी ने अन्य वैज्ञानिकों के साथ इसलिए इकट्ठा किया ताकि न्यूरल नेटवर्क एआई मशीन लर्निंग (एमएल) को ट्रेन किया जा सके। इसके बाद उन्होंने अलग अलग सेंटर 110 मरीजो पर इसकी सटीकता का टेस्ट किया ट्रेनी और एक्सपर्ट के साथ एआई का मुकाबला था। जिसका निष्कर्ष यह निकला एआई की सटीकता मानव डॉक्टर जितनी है पर ध्यान देने वाली बात है कि एआई तेजी से रिजल्ट देने मे दक्ष था।